सब से पहले लाल किताब 1939 में आयी ,फिर 1940 में इसका दूसरा संस्करण आया,फिर 1941 में तीसरा,1942 में चोथा और अंतिम बार लाल किताब 1952 में छपी जिसके 1171 पृष्ठ हैं। इसका लाल रंग ही क्यों,क्योंकि लाल रंग विकास का रंग है,मंगल का रंग है,खुशियों का रंग है।
लाल किताब के अनुसार, किसी भी कुण्डली में मकान से संबंधित कार्याें में शनि का बहुत बड़ा योगदान होता है। शनि की स्थिति से जातक के मकान के बारे में बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होती हैं। मकान कब बनेगा एवं कैसा मकान शुभ फलदायक होगा, इसके लिए कुण्डली में शनि की स्थिति देखनी बहुत जरूरी हो जाती है। कुण्डली में उपस्थित शनि अपना शुभ-अशुभ प्रभाव मकान की नींव का प्रारंभ करने के 3 या 18 वर्ष बाद अवश्य देता है।
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लालकिताब के अनुसार ऋण, कारण, लक्षण और उपाय।
1 सुर्य - स्वऋण।- 2 चंद्र - मातृऋण।- 3 मंगल - कुटुंब का ऋण।- 4 बुध - बहन बेटी का ऋण।- 5 गुरु - पितृ ऋण।- 6 शुक्र - स्त्री ऋण।- 7 शनी - निर्दय का ऋण।- 8 राहु - अजन्में का ऋण।- 9 केतु - ईस्वरीस ऋण।-